दिल धड़कने का सबब क्या होगा
फिर तुझे ख़्वाब में देखा होगा
फूल के चेहरे ये शबनम कैसी
आसमाँ रात में रोया होगा
जिस ने ख़्वाबों में समुंदर देखे
उस की तक़दीर में सहरा होगा
तुझ से बिछड़ा तो गुमाँ होता है
जाने क्या मैं ने गँवाया होगा
ग़ज़ल
दिल धड़कने का सबब क्या होगा
प्रेम भण्डारी