दिल देना मुश्किल होता है
दिल का भी इक दिल होता है
हम होते हैं जब महफ़िल में
तू जान-ए-महफ़िल होता है
मौज में आ कर सहरा बोला
मुझ में भी साहिल होता है
जिस रस्ते में तुम मिल जाओ
वो रस्ता मंज़िल होता है
देख मुझे सब देख रहे हैं
तू ही क्यूँ ग़ाफ़िल होता है
कोई नज़र हो या ख़ंजर हो
क़ातिल तो क़ातिल होता है
'मोमिन' तेरे चुप होने से
इक आलम साइल होता है
ग़ज़ल
दिल देना मुश्किल होता है
अब्दुर्रहमान मोमिन