दिल बला से निसार हो जाए
आप को ए'तिबार हो जाए
क़हर तो बार बार होता है
लुत्फ़ भी एक बार हो जाए
ज़िंदगी चारा-साज़-ए-ग़म न सही
मौत ही ग़म-गुसार हो जाए
या ख़िज़ाँ जाए और बहार आए
या ख़िज़ाँ ही बहार हो जाए
दिल पे माना कि इख़्तियार नहीं
और अगर इख़्तियार हो जाए
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ग़ज़ल
दिल बला से निसार हो जाए
चराग़ हसन हसरत