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दिल अपना सैद-ए-तमन्ना है देखिए क्या हो | शाही शायरी
dil apna said-e-tamanna hai dekhiye kya ho

ग़ज़ल

दिल अपना सैद-ए-तमन्ना है देखिए क्या हो

ज़िया फ़तेहाबादी

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दिल अपना सैद-ए-तमन्ना है देखिए क्या हो
हवस को इश्क़ का सौदा है देखिए क्या हो

किसी के लम्हा-ए-उलफ़त की याद-ए-कैफ़-आवर
दिल-ए-हज़ीं का सहारा है देखिए क्या हो

बचा बचा के रखा था जिसे वही कश्ती
सुपुर्द-ए-मौजा-ए-दरिया है देखिए क्या हो

सुकूत-ए-बुत-कदा-ए-आज़री से तंग आ कर
ख़ुदा को मैं ने पुकारा है देखिए क्या हो

शकेब-ओ-सब्र का पैमाना टूटने पर भी
वही वफ़ा का तक़ाज़ा है देखिए क्या हो

हज़ार बार ही देखा है सोचने का मआल
हज़ार बार ही सोचा है देखिए क्या हो

'ज़िया' जो पी के न बहका वो रिंद-ए-मय-ख़ाना
पिए बग़ैर बहकता है देखिए क्या हो