दिल अभी तक जवान है प्यारे
किस मुसीबत में जान है प्यारे
तू मिरे हाल का ख़याल न कर
इस में भी एक शान है प्यारे
तल्ख़ कर दी है ज़िंदगी जिस ने
कितनी मीठी ज़बान है प्यारे
वक़्त कम है न छेड़ हिज्र की बात
ये बड़ी दास्तान है प्यारे
जाने क्या कह दिया था रोज़-ए-अज़ल
आज तक इम्तिहान है प्यारे
हम हैं बंदे मगर तिरे बंदे
ये हमारी भी शान है प्यारे
नाम है इस का नासेह-ए-मुश्फ़िक़
ये मिरा मेहरबान है प्यारे
कब किया मैं ने इश्क़ का दावा
तेरा अपना गुमान है प्यारे
मैं तुझे बेवफ़ा नहीं कहता
दुश्मनों का बयान है प्यारे
सारी दुनिया को है ग़लत-फ़हमी
मुझ पे तो मेहरबान है प्यारे
तेरे कूचे में है सुकूँ वर्ना
हर ज़मीं आसमान है प्यारे
ख़ैर फ़रियाद बे-असर ही सही
ज़िंदगी का निशान है प्यारे
शर्म है एहतिराज़ है क्या है
पर्दा सा दरमियान है प्यारे
अर्ज़-ए-मतलब समझ के हो न ख़फ़ा
ये तो इक दास्तान है प्यारे
जंग छिड़ जाए हम अगर कह दें
ये हमारी ज़बान है प्यारे
ग़ज़ल
दिल अभी तक जवान है प्यारे
हफ़ीज़ जालंधरी