दीजिए रुख़्सत-ए-बोसा नहीं ले बैठेंगे
प्यारे ये याद रहे जान भी दे बैठेंगे
पा-ए-दीवार खड़े रहने न दीजे बेहतर
और हट कर तिरे कूचा में परे बैठेंगे
बे-सर-ओ-पा हैं कहाँ जाएँगे जूँ नक़्श-ए-क़दम
ख़ाक-ए-पा हम तिरे क़दमों ही तले बैठेंगे
आतिश-ए-इश्क़ तिरे सोख़्तगाँ जूँ शोला
जब तलक हैं कोई आराम लिए बैठेंगे
रू-ब-रू उस के 'असर' आप ब-ईं-ज़िंदा-दिली
कब तलक दिल के तईं मारे हुए बैठेंगे

ग़ज़ल
दीजिए रुख़्सत-ए-बोसा नहीं ले बैठेंगे
मीर असर