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ढूँडिए दिन रात हफ़्तों और महीनों के बटन | शाही शायरी
DhunDiye din raat hafton aur mahinon ke baTan

ग़ज़ल

ढूँडिए दिन रात हफ़्तों और महीनों के बटन

इमरान शमशाद

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ढूँडिए दिन रात हफ़्तों और महीनों के बटन
ला-मकाँ में खो गए हैं इन मकीनों के बटन

सिर्फ़ छूने से नज़र आता है मंज़र का फ़रेब
देखने में ख़ुश-नुमा हैं आबगीनों के बटन

दरस-ए-तक़्वा देने वाले की क़बा पर देखिए
सोने चाँदी और चमकीले नगीनों के बटन

अब गरेबाँ चाक का मतलब बताने के लिए
खोलने पड़ते हैं अक्सर आस्तीनों के बटन

जब सदा-ए-कुन का उगला मरहला आ जाएगा
आसमाँ के काज में होंगे ज़मीनों के बटन

कोई है, वर्ना ये दुनिया किस क़दर बर्बाद हो
पागलों के हाथ में हैं सब मशीनों के बटन