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धरती से आकाश मिला दो | शाही शायरी
dharti se aakash mila do

ग़ज़ल

धरती से आकाश मिला दो

नदीम सिद्दीक़ी

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धरती से आकाश मिला दो
मुझ को मेरा आज पता दो

तन तो ख़ुद ही मिट जाएगा
मन पापी है इस को सज़ा दो

मेरा बच्चा ज़िद करता है
बाबा मुझ को सूरज ला दो

मैं ने अपना क़त्ल किया है
सपना है ताबीर बता दो

अपना मातम ख़ुद कर लूँगा
मुझ को मेरी लाश दिखा दो