धरती पर सब दर्द के मारे किस के हैं
आसमान पर चाँद सितारे किस के हैं
सुनते हैं वो शख़्स तो घर ही बदल गया
फिर ये दिल-आवेज़ इशारे किस के हैं
किस सहरा की धूल है सब की आँखों में
बे-मौज ओ बे-रूद किनारे किस के हैं
अब क्या सोचना ऐसी-वैसी बातों पे
उन हाथों ने बाल सँवारे किस के हैं
कौन है इस रिम-झिम के पीछे छुपा हुआ
ये आँसू सारे के सारे किस के हैं
किसी पहाड़ की चोटी पर चढ़ कर देखो
आँखों से ओझल नज़्ज़ारे किस के हैं

ग़ज़ल
धरती पर सब दर्द के मारे किस के हैं
जमाल एहसानी