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देते हो बोसा तो कहीं लाओ भी | शाही शायरी
dete ho bosa to kahin lao bhi

ग़ज़ल

देते हो बोसा तो कहीं लाओ भी

नसीम देहलवी

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देते हो बोसा तो कहीं लाओ भी
ख़ैर किसी तरह से शरमाओ भी

आप के वा'दों को हमारा सलाम
देख चुके ख़ूब अजी जाओ भी

हम तो अभी सुल्ह पे मौजूद हैं
फ़ैसला यारो कोई ठहराव भी

नक़्ल-ए-कबाब-ए-जिगरी कीजिए
खाओ मेरे सर की क़सम खाओ भी