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देखे तेरा रस्ता फूल | शाही शायरी
dekhe tera rasta phul

ग़ज़ल

देखे तेरा रस्ता फूल

जमील मलिक

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देखे तेरा रस्ता फूल
एक अकेला तन्हा फूल

रात है चाँद सवेरा फूल
वो तेरा ये मेरा फूल

बाग़ में जा कर देख लिया
कोई नहीं था तुझ सा फूल

यूँ चौराहों की ज़ीनत
जैसे एक तमाशा फूल

मैं ज़िंदाँ और तन्हाई
तू गुलशन और क्या क्या फूल

तोड़ा मसला फेंक दिया
तू ने मेरे प्यार का फूल

काँटों में रहता है 'जमील'
फिर भी सब से अच्छा फूल