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देख लटका सजन तेरी लट का | शाही शायरी
dekh laTka sajan teri laT ka

ग़ज़ल

देख लटका सजन तेरी लट का

दाऊद औरंगाबादी

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देख लटका सजन तेरी लट का
उस की हर मू-ब-मू में दिल अटका

आब-ए-तेग़-ए-निगह के प्यासे कूँ
कम-निगाही का मार मत फटका

ग़म्ज़ा तेरा अजब सिपाही है
जिस की दहशत सूँ बुल-हवस सटका

इश्क़ का ज़हर उस सूँ क्यूँ तेरे
नाग तुझ ज़ुल्फ़ का जिसे चटका

मुस्तइद हैं तेरे यू मर्दुम-ए-चश्म
मुझ को अबरू का मारने सट का

होश 'दाऊद' का हुआ लट-पट
देख कर तेरी नाज़ का लटका