देख दरवाज़े से मुझ को वो परी-रू हट गई
देखते ही उस के मेरी जान बस चट-पट गई
तुम उधर धोते रहे मुँह हम इधर रोते रहे
रोते-धोते दो घड़ी बारे मज़े से कट गई
गर्द-ए-कुल्फ़त बस-कि छाई दिल से ता आँखों तलक
नहर थी जारी जो आँखों की मिरे सो पट गई
जी अदा ने ज़ुल्फ़ ने दिल होश ग़मज़ों ने लिया
जिंस-ए-हस्ती अपनी सब ग़ारत में आ कर बट गई
पर्दे ही पर्दे में दिल को ख़ाक कर डाला मिरे
इस अदा से वो परी मुँह पर लिए घुँघट गई
ज़ुल्फ़ गर छिदरी हुई तेरे तो मत खा पेच-ओ-ताब
क्या हुआ अज़-बस उठाए बोझ दिल के लुट गई
कल जो मेरा ख़ुश-निगह गुज़रा चमन से ऐ 'हसन'
मूँद ली बादाम ने आँख और नर्गिस कट गई
ग़ज़ल
देख दरवाज़े से मुझ को वो परी-रू हट गई
मीर हसन