देख बे-बादा क्या है अपना रंग
रहम ऐ आसमान-ए-मीना-रंग
ज़ोर दिखला रहा है क्या क्या रंग
वाह वा ऐ जहान-ए-रंगा-रंग
हो गई सिंफ़ से सुबुक ऐसी
ले उड़ा हम को भी हमारा रंग
ग़ज़ल
देख बे-बादा क्या है अपना रंग
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी
ग़ज़ल
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर लखनवी
देख बे-बादा क्या है अपना रंग
रहम ऐ आसमान-ए-मीना-रंग
ज़ोर दिखला रहा है क्या क्या रंग
वाह वा ऐ जहान-ए-रंगा-रंग
हो गई सिंफ़ से सुबुक ऐसी
ले उड़ा हम को भी हमारा रंग