देख अपने माइलों को कि हैं दिल जले पड़े
पज़मुर्दा, दिल-फ़सुर्दा दर ऊपर ढले पड़े
चक्की चली है चर्ख़ की दानाओ देख लो
दाने बहुत हैं इस में तो ऐसे डले पड़े
ओहो जी दे ही डालो निकाल ऐसी भूख में
तुम कुन तो हैं समोसे बहुत से तले पड़े
जब गिर पड़ूँ हूँ पाँव प कहते हो मुँह को फेर
तुम छोड़ सब को पंद हमारे भले पड़े
जूँ जानूँ बे-कसों के तईं अब निबाह लो
हम सब तरफ़ से हार तुम्हारे गले पड़े
तेरा हो बोल-बाला समझ-बूझ शेर कह
देख 'अज़फ़री' न बात हमारी तले पड़े
ग़ज़ल
देख अपने माइलों को कि हैं दिल जले पड़े
मिर्ज़ा अज़फ़री