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देख ऐ शख़्स मुझे यूँ न गिरफ़्तार समझ | शाही शायरी
dekh ai shaKHs mujhe yun na giraftar samajh

ग़ज़ल

देख ऐ शख़्स मुझे यूँ न गिरफ़्तार समझ

नदीम भाभा

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देख ऐ शख़्स मुझे यूँ न गिरफ़्तार समझ
यार की क़ैद में हूँ तू तो मुझे यार समझ

इश्क़ के पाँव पड़ा और उसे अर्ज़ करे
साहिबा अब तो मुझे अपना तरफ़-दार समझ

मैं ने सीखा है उसे देख कर रस्ता होना
लोग कहते हैं कि दीवार को दीवार समझ