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दे सको तो ज़िंदगानी दो मुझे | शाही शायरी
de sako to zindagani do mujhe

ग़ज़ल

दे सको तो ज़िंदगानी दो मुझे

मदन मोहन दानिश

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दे सको तो ज़िंदगानी दो मुझे
लफ़्ज़ तो मैं हूँ मआ'नी दो मुझे

खो न जाए मुझ में इक बच्चा है जो
यूँ करो कोई कहानी दो मुझे

हम-ज़बाँ मेरा यहाँ कोई नहीं
लाओ अपनी बे-ज़बानी दो मुझे

है हवा दरकार मेरी आग को
कब कहा उस ने कि पानी दो मुझे

एक मंज़िल ने तो 'दानिश' ये कहा
रास्तों की कुछ निशानी दो मुझे