दे सको तो ज़िंदगानी दो मुझे
लफ़्ज़ तो मैं हूँ मआ'नी दो मुझे
खो न जाए मुझ में इक बच्चा है जो
यूँ करो कोई कहानी दो मुझे
हम-ज़बाँ मेरा यहाँ कोई नहीं
लाओ अपनी बे-ज़बानी दो मुझे
है हवा दरकार मेरी आग को
कब कहा उस ने कि पानी दो मुझे
एक मंज़िल ने तो 'दानिश' ये कहा
रास्तों की कुछ निशानी दो मुझे
ग़ज़ल
दे सको तो ज़िंदगानी दो मुझे
मदन मोहन दानिश