दे ख़ुदा वुसअ'त तो सब के काम आना चाहिए
दिल में दुश्मन के भी घर अपना बनाना चाहिए
आप के दिल में जगह मेरे लिए क्या सच है ये
अल्लाह अल्लाह इस से बेहतर क्या ठिकाना है
गर कभी नफ़रत की कोई लहर उठे क़ल्ब से
जिस तरह हो उस को तो क़ाबू में लाना चाहिए
बाँटते ही चाहिए रहना मोहब्बत के गुलाब
दिल के गुलशन को कहा किस ने सजाना चाहिए
अंजुमन कोई हो और दामन किसी का भी हो वो
ख़ुशबुओं में सब के दामन को बसाना चाहिए
राज़-ए-दिल इफ़्शा न हो 'हस्सान' है बेहतर यही
हाल-ए-दिल खुल कर कभी लब पर न लाना चाहिए

ग़ज़ल
दे ख़ुदा वुसअ'त तो सब के काम आना चाहिए
मोहम्मद हाज़िम हस्सान