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दवा कोई क्या काम लिखूँ | शाही शायरी
dawa koi kya kaam likhun

ग़ज़ल

दवा कोई क्या काम लिखूँ

मोहम्मद अल्वी

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दवा कोई क्या काम लिखूँ
नुस्ख़े में आराम लिखूँ

सूरज को मरते देखूँ
वक़्त बराबर शाम लिखूँ

दो-नाली बंदूक़ चलाऊँ
जंगल में कोहराम लिखूँ

धंदा करूँ नमाज़ों का
पेशानी पर दाम लिखूँ

आसमान पर जा पहुँचूँ
अल्लाह तेरा नाम लिखूँ

'अल्वी' आप के खाते में
आज की शब के जाम लिखूँ