दौलत है बड़ी चीज़ हुकूमत है बड़ी चीज़
इन सब से बशर के लिए इज़्ज़त है बड़ी चीज़
जब ज़िक्र किया मैं ने कभी वस्ल का उन से
वो कहने लगे पाक मोहब्बत है बड़ी चीज़
बस आप के नज़दीक तो ऐ हज़रत-ए-वाइज़
आयत है बड़ी चीज़ रिवायत है बड़ी चीज़
पूरी न अगर हो तो कोई चीज़ नहीं है
निकले जो मिरे दिल से तो हसरत है बड़ी चीज़
ऐ 'नूह' न तुम उस को हसीनों में गँवाओ
ये ख़ूब समझ लो कि रियासत है बड़ी चीज़
ग़ज़ल
दौलत है बड़ी चीज़ हुकूमत है बड़ी चीज़
नूह नारवी