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दर्स देता है शकेबाई का | शाही शायरी
dars deta hai shakebai ka

ग़ज़ल

दर्स देता है शकेबाई का

प्रेम शंकर गोयला फ़रहत

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दर्स देता है शकेबाई का
वो तिरा ज़ो'म मसीहाई का

ताइर-ए-दीद तमाशाई का
मो'तरिफ़ है तिरी गीराई का

है यही शरह-ए-हदीस-ए-आदम
ज़िंदगी नाम है रुस्वाई का

नक़्स-ए-परवाज़-ए-नज़र है वर्ना
आइना हूँ तिरी यकताई का

बन गया राह-नुमा-ए-मंज़िल
वो भटकना तिरे सौदाई का

तेरी महफ़िल की फ़ज़ा-ए-रंगीं
नक़्श जैसे कोई चुग़्ताई का

बन गया सोज़-ए-मोहब्बत 'फ़रहत'
इक हरीफ़ आतिश-ए-मीनाई का