EN اردو
दरपय-ए-उम्र-ए-रफ़्ता हूँ यारब | शाही शायरी
darpai-e-umr-e-rafta hun yarab

ग़ज़ल

दरपय-ए-उम्र-ए-रफ़्ता हूँ यारब

जुरअत क़लंदर बख़्श

;

दरपय-ए-उम्र-ए-रफ़्ता हूँ यारब
हर-दम अज़-ख़ुद गुज़िश्ता हूँ यारब

क्या हूँ मक़्बूल-ए-तब्-ए-अहल-ए-सुख़न
एक मज़मून-ए-बस्ता हूँ यारब

क्या दिखाऊँ मैं अपने जौहर आह
शक्ल-ए-तेग़-ए-शिकस्ता हूँ यारब

अपनी कम-फ़ुर्सती कहूँ क्या आह!
आह अज़-सीना जस्ता हूँ यारब

पानी पानी हूँ जिस को देख जहीम
सोज़-ए-ग़म से वो तफ़्ता हूँ यारब

देखो क्या हो कि वाँ है नाज़-ए-ग़ुरूर
मैं ये अहवाल-ए-ख़स्ता हूँ यारब