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दर्द के चाँद की तस्वीर ग़ज़ल में आए | शाही शायरी
dard ke chand ki taswir ghazal mein aae

ग़ज़ल

दर्द के चाँद की तस्वीर ग़ज़ल में आए

ग़यास अंजुम

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दर्द के चाँद की तस्वीर ग़ज़ल में आए
शे'र लिक्खूँ तो ये तासीर ग़ज़ल में आए

सुनते आए हैं बहुत ज़िक्र हसीं ख़्वाबों का
अब किसी ख़्वाब की ता'बीर ग़ज़ल में आए

उन के चेहरे को मैं इस तरह पढ़ा करता हूँ
जैसे ग़म की कोई तफ़्सीर ग़ज़ल में आए

खेत खलियान से जब साँवली सूरत लौटे
सुरमई शाम की तनवीर ग़ज़ल में आए

अपने किरदार का कुछ अक्स तो झलके 'अंजुम'
आइने की कोई तहरीर ग़ज़ल में आए