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दर्द के बीज बो लिए रंज-ओ-अलम उगा लिए | शाही शायरी
dard ke bij bo liye ranj-o-alam uga liye

ग़ज़ल

दर्द के बीज बो लिए रंज-ओ-अलम उगा लिए

मन्नान बिजनोरी

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दर्द के बीज बो लिए रंज-ओ-अलम उगा लिए
इश्क़ में दिल की मान कर हम ने ये गुल खिला लिए

तीली दिखा तो दी मगर जल्दी से फिर बुझा के आग
उस ने मिरे तमाम ख़त झाड़ के धूल उठा लिए

क़िल्लत-ए-अश्क अब कभी होगी न उम्र भर हमें
हम ने ख़ुशी के शौक़ में इतने तो ग़म कमा लिए

तन्हा रहेंगे किस तरह हाए ये हम ने क्या कहा
अपनों को भी परख लिया ग़ैर भी आज़मा लिए