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दर्द हो दिल में तो दवा कीजे | शाही शायरी
dard ho dil mein to dawa kije

ग़ज़ल

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे

मंज़र लखनवी

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दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे

ग़म में कुछ ग़म का मशग़ला कीजे
दर्द की दर्द से दवा कीजे

आप और अहद-ए-पुर-वफ़ा कीजे
तौबा तौबा ख़ुदा ख़ुदा कीजे

देखता हूँ जो हश्र के आसार
अपने तेवर मुलाहिज़ा कीजे

नज़र-ए-इल्तिफ़ात बन गई मौत
मिरी क़िस्मत को आप क्या कीजे

देखिए मुक़तज़ा-ए-हाल-ए-मरीज़
अब दवा छोड़िए दवा कीजे

चार दिन की हयात में 'मंज़र'
क्यूँ किसी से भी दिल बुरा कीजे