दर्द देखें न अब दवा देखें
मरने वालों का हौसला देखें
कुछ नहीं इश्क़ में बईद मियाँ
रौशनी छुएँ और हवा देखें
जब न देखा उसे तो क्या देखा
देख कर उस को और क्या देखें
जो न देखा था वो भी देख लिया
अब दिखाता है क्या ख़ुदा देखें
हम में कोई मुशाबहत भी है
आइए मिल के आइना देखें
ये मोहब्बत तो शय ही ऐसी है
आप भी अपना फ़ाएदा देखें
मैं पलट जाऊँ अपने घर की तरफ़
आप भी अपना रास्ता देखें
क्या खुले उन पे इश्क़ जो 'सैफ़ी'
शहर से दश्त को जुदा देखें
ग़ज़ल
दर्द देखें न अब दवा देखें
मुनीर सैफ़ी