EN اردو
दर्द औरों का दिल में गर रखिए | शाही शायरी
dard auron ka dil mein gar rakhiye

ग़ज़ल

दर्द औरों का दिल में गर रखिए

दरवेश भारती

;

दर्द औरों का दिल में गर रखिए
बे-ग़रज़ हो के उम्र-भर रखिए

हो ही जाएँगी मुश्किलें आसान
अक़्ल सा एक राहबर रखिए

पाँव ठहरें ख़याल चलते रहें
एक ऐसा भी तो सफ़र रखिए

उस के दम से है आबरू का वजूद
अपने किरदार पर नज़र रखिए

हो इशारा कि बह सके न हवा
आँख में इतना तो असर रखिए

दोस्ती में है शर्त ये 'दरवेश'
ज़िक्र मैं तू का ताक़ पर रखिए