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दामन में आँसू मत बोना | शाही शायरी
daman mein aansu mat bona

ग़ज़ल

दामन में आँसू मत बोना

शहाब अख़्तर

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दामन में आँसू मत बोना
हाथ आए मोती क्या खोना

भीगे काग़ज़ की तहरीर में
धूप निकल आए तो धोना

चादर तो सरकाओ सर से
आँगन में बिखरा है सोना

ये महफ़िल है हंस लो गा लो
तन्हाई में खुल कर रोना

पीछे मुड़ कर देखने वाले
पत्थर में तब्दील न होना

उस से कुछ कहने का मतलब
आँसू में आवाज़ भिगोना