दामन-ए-दिल पे नहीं बारिश-ए-इल्हाम अभी 
इश्क़ ना-पुख़्ता अभी जज़्ब-ए-दरूँ ख़ाम अभी 
ख़ुद ही झुकता हूँ कि दावा-ए-जुनूँ क्या कीजिए 
कुछ गवारा भी है ये क़ैद-ए-दर-ओ-बाम अभी 
ये जवानी तो अभी माइल-ए-पैकार नहीं 
ये जवानी तो है रुस्वा-ए-मय-ओ-जाम अभी 
वाइज़ ओ शैख़ ने सर जोड़ के बदनाम किया 
वर्ना बदनाम न होती मय-ए-गुलफ़ाम अभी 
मैं ब-सद-ब-सद-फ़ख़्रिया ज़ुहहाद से कहता हूँ 'मजाज़' 
मुझ को हासिल, शर्फ़-ए-बैअत-ए-ख़य्याम अभी
        ग़ज़ल
दामन-ए-दिल पे नहीं बारिश-ए-इल्हाम अभी
असरार-उल-हक़ मजाज़

