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दाग़ सीने पे जो हमारे हैं | शाही शायरी
dagh sine pe jo hamare hain

ग़ज़ल

दाग़ सीने पे जो हमारे हैं

मोहम्मद दीन तासीर

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दाग़ सीने पे जो हमारे हैं
गुल खिलाए हुए तुम्हारे हैं

रब्त है हुस्न ओ इश्क़ में बाहम
एक दरिया के दो किनारे हैं

कोई जिद्दत नहीं हसीनों में
सब ने नक़्शे तिरे उतारे हैं

तेरी बातें हैं किस क़दर शीरीं
तेरे लब कैसे प्यारे प्यारे हैं

जिस तरह हम ने रातें काटी हैं
उस तरह हम ने दिन गुज़ारे हैं