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चुटकियाँ लेती है गोयाई किसे आवाज़ दूँ | शाही शायरी
chuTkiyan leti hai goyai kise aawaz dun

ग़ज़ल

चुटकियाँ लेती है गोयाई किसे आवाज़ दूँ

बलराज हयात

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चुटकियाँ लेती है गोयाई किसे आवाज़ दूँ
किस को है तौफ़ीक़-ए-शुनवाई किसे आवाज़ दूँ

सर में सौदा है न दिल में आरज़ू किस से कहूँ
जल्वतें माँगे है तन्हाई किसे आवाज़ दूँ

अपनी नज़रों में तो मेरा ज़ो'म-ए-हस्ती लग़्व है
किस से पूछूँ अपनी सच्चाई किसे आवाज़ दूँ

बेच दूँगा मैं ज़मीर अपना अगर तस्कीं मिले
ऐ मुसलसल रूह-फ़रसाई के आवाज़ दूँ

मेरी हसरत कोई पूछे मुझ से मेरा हाल-ए-दिल
लोग अपने अपने शैदाई किसे आवाज़ दूँ

आज़माइश का ये पहलू भी है क्या मालूम था
कामरानी की घड़ी आई किसे आवाज़ दूँ

किस के नाम आख़िर करूँ 'हैरत' मैं अपनी वहशतें
मुंतज़िर है दश्त-पैमाई किसे आवाज़ दूँ