चुप रहे देख के उन आँखों के तेवर आशिक़
वर्ना क्या कुछ न उठा सकते थे महशर आशिक़
देखें अब कौन से रस्ते पे ज़माना जाए
कूचा कूचा हैं परी-ज़ाद तो घर घर आशिक़
दम-ब-ख़ुद ज़ोहरा-जबीनों को तका करता है
है हमारी ही तरह राह का पत्थर आशिक़
वो भी इंसान है किस किस को नवाज़ेगा 'फ़ुज़ैल'
फूल सी जान के पीछे हैं बहत्तर आशिक़
ग़ज़ल
चुप रहे देख के उन आँखों के तेवर आशिक़
फ़ुज़ैल जाफ़री