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चुप रहे देख के उन आँखों के तेवर आशिक़ | शाही शायरी
chup rahe dekh ke un aankhon ke tewar aashiq

ग़ज़ल

चुप रहे देख के उन आँखों के तेवर आशिक़

फ़ुज़ैल जाफ़री

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चुप रहे देख के उन आँखों के तेवर आशिक़
वर्ना क्या कुछ न उठा सकते थे महशर आशिक़

देखें अब कौन से रस्ते पे ज़माना जाए
कूचा कूचा हैं परी-ज़ाद तो घर घर आशिक़

दम-ब-ख़ुद ज़ोहरा-जबीनों को तका करता है
है हमारी ही तरह राह का पत्थर आशिक़

वो भी इंसान है किस किस को नवाज़ेगा 'फ़ुज़ैल'
फूल सी जान के पीछे हैं बहत्तर आशिक़