EN اردو
चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई | शाही शायरी
chup hain huzur mujhse koi baat ho gai

ग़ज़ल

चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई

हसन रिज़वी

;

चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई
या फिर किसी से आज मुलाक़ात हो गई

ताज़ा लगी थी चोट कि मौसम बदल गया
और देखते ही देखते बरसात हो गई

यूँ तो दिए फ़रेब किसी और ने उन्हें
लेकिन गुनाहगार मिरी ज़ात हो गई

आए तो दिल में प्यार का चश्मा उबल पड़ा
और चल दिए तो दर्द की बोहतात हो गई

चुनते हो तीरगी में भी ताज़ा ग़ज़ल के फूल
क्या सोच तेरी वाक़िफ़-ए-हालात हो गई

हम ने किया सवाल तो वो चुप रहे 'हसन'
लो आज अपनी बात ख़ुराफ़ात हो गई