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चितवन दुरुस्त सीन बजा बातें ठीक-ठीक | शाही शायरी
chitwan durust sean baja baaten Thik-Thik

ग़ज़ल

चितवन दुरुस्त सीन बजा बातें ठीक-ठीक

नज़ीर अकबराबादी

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चितवन दुरुस्त सीन बजा बातें ठीक-ठीक
नाज़-ओ-अदा की उस में हैं सब बातें ठीक-ठीक

क्या दिल को अच्छी लगती हैं इन ख़ुश-क़दों की आह
ये प्यारी प्यारी बोलियाँ ये गातें ठीक-ठीक

मुँह में तमांचे छाती में घूँसा कमर में लात
क्या क्या हुईं ये मुझ पे इनायातें ठीक-ठीक

मौक़ा से बोसा मौक़ा से गाली भी हम को दी
की शोख़ ने ये दोनों मदारातें ठीक-ठीक

जब दोस्ती में क़ौल के पूरे हों दोनों शख़्स
होती हैं फिर तो क्या ही मुलाक़ातें ठीक-ठीक

जब बन पड़ी तो शैख़-जी शैख़ी न मारें क्या
हम से भी फिर तो होवें करामातें ठीक-ठीक

सच है ब-क़ौल-ए-हज़रत-ए-सय्यद 'नज़ीर' आह
बन आती हैं तो होती हैं सब बातें ठीक-ठीक