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छोड़ दे मार लात दुनिया को | शाही शायरी
chhoD de mar lat duniya ko

ग़ज़ल

छोड़ दे मार लात दुनिया को

जोशिश अज़ीमाबादी

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छोड़ दे मार लात दुनिया को
कुछ नहीं है सबात दुनिया को

हाथ आई है जिस को दौलत-ए-फ़क़्र
उन ने मारी है लात दुनिया को

ज़ाल-ए-दुनिया ही सा है वो बद-ज़ात
जो कहे नेक-ज़ात दुनिया को

दाम-ए-उल्फ़त में सब को खींचे है
आ गई है ये घात दुनिया को

पुश्त-ए-पा मारे मसनद-ए-जम पर
जो लगाए न हाथ दुनिया को

तू जो मरता है उस पर ऐ 'जोशिश'
ले गया कोई साथ दुनिया को