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छटा ग़ुबार तो आँखों में भर गया पानी | शाही शायरी
chhaTa ghubar to aankhon mein bhar gaya pani

ग़ज़ल

छटा ग़ुबार तो आँखों में भर गया पानी

मुर्तज़ा अली शाद

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छटा ग़ुबार तो आँखों में भर गया पानी
ज़रा सी देर में सर से गुज़र गया पानी

न था ख़याल कि छत भी है आसमाँ जैसी
तड़प रहे थे कि जाने किधर गया पानी

लबों पे हर्फ़-ए-दुआ राख हो गया लेकिन
दिलों में ज़ख़्म की सूरत उतर गया पानी

इक ए'तिबार सी दीवार-ए-आब है हर-सू
मिरे वजूद को ज़ंजीर कर गया पानी

वो भीगा जिस्म वो पैराहन-ए-हया की शफ़क़
फिर इक गुलाब को शादाब कर गया पानी