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चेहरे पर ख़ुश-हाली ले कर आता हूँ | शाही शायरी
chehre par KHush-haali le kar aata hun

ग़ज़ल

चेहरे पर ख़ुश-हाली ले कर आता हूँ

इलियास बाबर आवान

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चेहरे पर ख़ुश-हाली ले कर आता हूँ
तुम से मिलने टैक्सी ले कर आता हूँ

यूँ करना तुम जुगनू ले कर आ जाना
मैं इक दोस्त से कश्ती ले कर आता हूँ

रस्ते में इक टापू पर कुछ ठहरेंगे
मैं बर्गर और पेप्सी ले कर आता हूँ

तुम चाहो तो वापस जा भी सकती हो
मैं गाड़ी की चाबी ले कर आता हूँ

जिस्म की आग से कब तक काम चलाएँगे
जंगल से कुछ लकड़ी ले कर आता हूँ

मैं जाता हूँ तो पत्थर से बहता है
जिस चश्मे का पानी ले कर आता हूँ