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चश्म-ए-तर है सहाब है क्या है | शाही शायरी
chashm-e-tar hai sahab hai kya hai

ग़ज़ल

चश्म-ए-तर है सहाब है क्या है

वक़ार हिल्म सय्यद नगलवी

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चश्म-ए-तर है सहाब है क्या है
अश्क गौहर है आब है क्या है

मरना जीना जनाब है क्या है
हर-नफ़स इंक़लाब है किया है

ज़हर फैला फ़ज़ा में नफ़रत का
ये सियासत का बाब है क्या है

जाम-ए-दुनिया को मुँह लगा कर देख
ज़हर है या शराब है क्या है

सिंफ़-ए-नाज़ुक ये तब्सिरा कीजिए
ख़ार है या गुलाब है क्या है

हम से आलम की पूछ असलियत
ये हक़ीक़त है ख़्वाब है क्या है

कौन जान अदाओं में उस की
बचपना है शबाब है क्या है

वो 'वक़ार' आप का मुरस्सा-ए-'हिल्म'
बे-नुक़त इक किताब है क्या है