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चमन का हाल सुनाओ कि रात कट जाए | शाही शायरी
chaman ka haal sunao ki raat kaT jae

ग़ज़ल

चमन का हाल सुनाओ कि रात कट जाए

ख़ालिदा उज़्मा

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चमन का हाल सुनाओ कि रात कट जाए
तमाम रात रुलाओ कि रात कट जाए

जुनून ओ अक़्ल शनासा दरीदा-दिल लोगो
कुछ अपनी अपनी सुनाओ कि रात कट जाए

तरस गई हैं निगाहें किरन किरन के लिए
कोई सहर को बताओ कि रात कट जाए

बिछड़ने वालों की वो बोलती हुई आँखें
मुझे न याद दिलाओ कि रात कट जाए

अँधेरा रात का जाने हो ख़त्म कब 'उज़मा'
सहर का ख़्वाब दिखाओ कि रात कट जाए