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चलो सुरंग से पहले गुज़र के देखा जाए | शाही शायरी
chalo surang se pahle guzar ke dekha jae

ग़ज़ल

चलो सुरंग से पहले गुज़र के देखा जाए

अतीक़ुल्लाह

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चलो सुरंग से पहले गुज़र के देखा जाए
फिर इस पहाड़ को काँधों पे धर के देखा जाए

उधर के सारे तमाशों के रंग देख चुके
अब इस तरफ़ भी किसी रोज़ मर के देखा जाए

वो चाहता है किया जाए ए'तिबार उस पर
तो ए'तिबार भी कुछ रोज़ कर के देखा जाए

कहाँ पहुँच के हदें सब तमाम होती हैं
इस आसमान से नीचे उतर के देखा जाए

ये दरमियान में किस का सरापा आता है
अगर ये हद है तो हद से गुज़र के देखा जाए

ये देखा जाए वो कितने क़रीब आता है
फिर इस के बाद ही इंकार कर के देखा जाए