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चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ाएँ | शाही शायरी
chalo banT lete hain apni sazaen

ग़ज़ल

चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ाएँ

सरदार अंजुम

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चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ाएँ
न तुम याद आओ न हम याद आएँ

सभी ने लगाया है चेहरे पे चेहरा
किसे याद रक्खें किसे भूल जाएँ

उन्हें क्या ख़बर आने वाला न आया
बरसती रहीं रात भर ये घटाएँ