चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ाएँ
न तुम याद आओ न हम याद आएँ
सभी ने लगाया है चेहरे पे चेहरा
किसे याद रक्खें किसे भूल जाएँ
उन्हें क्या ख़बर आने वाला न आया
बरसती रहीं रात भर ये घटाएँ
ग़ज़ल
चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ाएँ
सरदार अंजुम
ग़ज़ल
सरदार अंजुम
चलो बाँट लेते हैं अपनी सज़ाएँ
न तुम याद आओ न हम याद आएँ
सभी ने लगाया है चेहरे पे चेहरा
किसे याद रक्खें किसे भूल जाएँ
उन्हें क्या ख़बर आने वाला न आया
बरसती रहीं रात भर ये घटाएँ