चल बसे जो कि थे जाने वाले
अब नहीं फिर के वो आने वाले
मुझ को दिखला दे मिरा अख़्तर-ए-बख़्त
चाँद सूरज के बनाने वाले
लोग कहते हैं तुम्हें राहत-ए-जान
तुम तो हो दिल के दिखाने वाले
हम से और बार-ए-मुसीबत उठ्ठे
हम तो हैं नाज़ उठाने वाले
तेरी रहमत है ग़ज़ब पर ग़ालिब
रोज़-ए-महशर के डराने वाले
कभी भूले से इधर भी आ जा
सूने फ़ित्ने के जगाने वाले
दिल भी मल डाल कभी 'अंजुम' का
अरे मेहंदी के लगाने वाले
ग़ज़ल
चल बसे जो कि थे जाने वाले
मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम