EN اردو
चल बसे जो कि थे जाने वाले | शाही शायरी
chal base jo ki the jaane wale

ग़ज़ल

चल बसे जो कि थे जाने वाले

मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम

;

चल बसे जो कि थे जाने वाले
अब नहीं फिर के वो आने वाले

मुझ को दिखला दे मिरा अख़्तर-ए-बख़्त
चाँद सूरज के बनाने वाले

लोग कहते हैं तुम्हें राहत-ए-जान
तुम तो हो दिल के दिखाने वाले

हम से और बार-ए-मुसीबत उठ्ठे
हम तो हैं नाज़ उठाने वाले

तेरी रहमत है ग़ज़ब पर ग़ालिब
रोज़-ए-महशर के डराने वाले

कभी भूले से इधर भी आ जा
सूने फ़ित्ने के जगाने वाले

दिल भी मल डाल कभी 'अंजुम' का
अरे मेहंदी के लगाने वाले