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चाँदनी अपने साथ लाई है | शाही शायरी
chandni apne sath lai hai

ग़ज़ल

चाँदनी अपने साथ लाई है

शहज़ाद रज़ा लम्स

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चाँदनी अपने साथ लाई है
तेरी सूरत में रात आई है

ख़ुद में अब ख़ुद को मैं नहीं मिलता
इस क़दर मुझ में तू समाई है

एक दिन जिस्म छोड़ जाएगी
रूह अपनी नहीं पराई है

नहर में साफ़ कुछ भी दिखता नहीं
आज पानी पे कितनी काई है

तुझ को ख़त भी लिखे हैं ख़ून से और
तेरी तस्वीर भी बनाई है

सर खुले आयतें हैं रब्ब-ए-जहाँ
तू कहाँ है कहाँ ख़ुदाई है

इस ज़मीं से ऐ आसमाँ वाले
अब उठा ले हमें दुहाई है