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चाँदी वाले, शीशे वाले, आँखों वाले शहर में | शाही शायरी
chandi wale, shishe wale, aankhon wale shahr mein

ग़ज़ल

चाँदी वाले, शीशे वाले, आँखों वाले शहर में

अली अकबर नातिक़

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चाँदी वाले, शीशे वाले, आँखों वाले शहर में
खो गया इक शख़्स मुझ से, देखे-भाले शहर में

मंदिरों के सेहन में सदियों पुरानी घंटियाँ
देवियों के हुस्न के कोहना हवाले शहर में

सर्द रातों की हवा में उड़ते पत्तों के मसील
कौन तेरे शब-नवर्दों को सँभाले शहर में

काँच की शाख़ों पे लटके तेरी वहशत के समर
तेरी वहशत के समर भी हम ने पाले शहर में

दिल के रेशों से रिदा-ए-नूर बुनते मिट गए
शब की फ़सलों में नहीं आसाँ उजाले शहर में