चाक कर लो अगर गिरेबाँ है
दोस्तो मौसम-ए-बहाराँ है
दिल है प्यासा हुसैन के मानिंद
ये बदन कर्बला का मैदाँ है
कितना मुश्किल है ज़िंदगी करना
और न सोचो तो कितना आसाँ है
सन छिहत्तर से मिल लो जी भर के
जी लिए कैसे अक़्ल हैराँ है
ग़ज़ल
चाक कर लो अगर गिरेबाँ है
मोहम्मद अल्वी