चाहे जन्नत न मिले चाहे ख़ुदाई न मिले
है दुआ मेरी यही तुझ से जुदाई न मिले
कौन सी राह चुनी तुम ने मोहब्बत के लिए
चल के आ जाओ मगर आबला-पाई न मिले
साथ तेरा हो अगर मौत भी आए हमदम
ज़ीस्त जो मुझ को मिले तुझ से पराई न मिले
अजनबी अपने ही बन जाते हैं जिन से यारो
नाम को मेरे कभी ऐसी बुराई न मिले
जो बदल डाले मिरी बात का मतलब ही 'सहर'
मेरे अशआ'र में ऐसी भी सफ़ाई न मिले

ग़ज़ल
चाहे जन्नत न मिले चाहे ख़ुदाई न मिले
रमज़ान अली सहर