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बुतों को फ़ाएदा क्या है जो हम से जंग करते हैं | शाही शायरी
buton ko faeda kya hai jo humse jang karte hain

ग़ज़ल

बुतों को फ़ाएदा क्या है जो हम से जंग करते हैं

रज़ा अज़ीमाबादी

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बुतों को फ़ाएदा क्या है जो हम से जंग करते हैं
ख़फ़ा जो ज़िंदगी से हूँ उन्हें क्यूँ तंग करते हैं

इधर ऊधर से फिर तेरी गली में दिल ले आता है
तरफ़ दैर ओ हरम के जब कभी आहंग करते हैं

किसी और ही के घर को कीजियो सय्याद तू तज़ईं
हम अपने ख़ून ही से इस क़फ़स पर रंग करते हैं

ब-तंग आ कर के आलम ने गरेबाँ चाक कर डाला
बुताँ फिर किस लिए जामे को अपने तंग करते हैं

उसे तो ताब दम की भी नहीं जूँ आइना ख़ूबाँ
'रज़ा' की तर्फ़ से क्यूँ अपने जी को तंग करते हैं