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बुरा हो गया या भला हो गया | शाही शायरी
bura ho gaya ya bhala ho gaya

ग़ज़ल

बुरा हो गया या भला हो गया

हरी चंद अख़्तर

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बुरा हो गया या भला हो गया
मोहब्बत में जो हो गया हो गया

न पूछो सर-ए-हश्र ज़ाहिद का हाल
समझते थे क्या और क्या हो गया

यहीं ख़त्म है बहस-ए-मेआ'र-ए-हुस्न
जो दिल ले गया दिलरुबा हो गया

इलाही तिरा बंदा और बुत-परस्त
मगर ये कि मजबूर सा हो गया