बुरा हो गया या भला हो गया
मोहब्बत में जो हो गया हो गया
न पूछो सर-ए-हश्र ज़ाहिद का हाल
समझते थे क्या और क्या हो गया
यहीं ख़त्म है बहस-ए-मेआ'र-ए-हुस्न
जो दिल ले गया दिलरुबा हो गया
इलाही तिरा बंदा और बुत-परस्त
मगर ये कि मजबूर सा हो गया
ग़ज़ल
बुरा हो गया या भला हो गया
हरी चंद अख़्तर