बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है
हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है
तुम अपने देस की सौग़ात हो हमारे लिए
कि हुस्न तोहफ़ा-ए-आब-ओ-हवा भी होता है
मुक़ाबले पे कमर-बस्ता हम नहीं होते
अगर शिकस्त का ख़तरा ज़रा भी होता है
तुम्हारे शहर में है जी लगा हुआ वर्ना
मुसाफ़िरों के लिए रास्ता भी होता है
वो चेहरा एक तसव्वुर भी है हक़ीक़त भी
दरीचा बंद भी होता है वा भी होता है
हम ऐ 'शुऊर' अकेले कभी नहीं होते
हमारे साथ हमारा ख़ुदा भी होता है
ग़ज़ल
बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है
अनवर शऊर