EN اردو
बिजलियों के रक़ीब होते हैं | शाही शायरी
bijliyon ke raqib hote hain

ग़ज़ल

बिजलियों के रक़ीब होते हैं

इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी

;

बिजलियों के रक़ीब होते हैं
चार तिनके अजीब होते हैं

यास-ओ-उम्मीद हसरत-ओ-अरमाँ
ज़िंदगी के नक़ीब होते हैं

जितने सय्याद हैं ज़माने के
आशियाँ के क़रीब होते हैं

दिल के ज़ख़्मों से खेलने वाले
दिल के बेहतर तबीब होते हैं

'इंतिज़ार' इंतिज़ार के लम्हे
दिल को मिस्ल-ए-सलीब होते हैं